एन. रघुरामन का कॉलम:जीवनभर कुछ भी फ्री या सब्सिडी पर नहीं मिलता रहेगा

2 weeks ago 12
  • Hindi News
  • Opinion
  • N. Raghuraman's Column Nothing Will Be Available Free Or Subsidized Throughout Life
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

अंग्रेजी में एक कहावत है कि ‘देयर आर नो फ्री लंचेस इन दिस वर्ल्ड’। हालांकि सारे अंग्रेजी भाषी लोग ये पुरानी कहावत जानते होंगे, लेकिन उन्हें इसका गहराई से अर्थ तब और समझ आया जब हाल ही में इसने गरीब अमेरिकियों को संकट में डाल दिया। चार साल पहले, निम्न आय वाले करीबन 2.3 करोड़ अमेरिकी परिवारों के पास ऑनलाइन रहने का केवल एक ही रास्ता था- अपने सेल फोन के जरिए।

इंटरनेट के बिना स्कूल जाने वाले उनके बच्चे होमवर्क नहीं कर कर सकते थे, उनके माता-पिता अपने नए डॉक्टर की ऑनलाइन अपॉइंटमेंट नहीं ले सकते थे, कुछ अपनी क्लास में शामिल नहीं हो सकते थे और घर के कमाने वाले मुखिया नए अवसर नहीं खोज सकते थे। कुल-मिलाकर अमीर और गरीब के बीच एक डिजिटल विभाजन हो गया था।

इस विभाजन को देखते हुए फेडरल सरकार ने, किफायती कनेक्टिविटी कार्यक्रम के तहत उनके 80 डॉलर महीने के इंटरनेट बिल में 30 डॉलर की सब्सिडी देना शुरू कर दी, और ये गरीबों की जिंदगी में गेमचेंजर रहा। लेकिन यह योजना इस मई में खत्म होने की आशंका है जब तक कि सरकार 14.2 अरब डॉलर के कार्यक्रम के लिए और फंड स्वीकृत नहीं करती।

योजना का पूरा लाभ उठाने वाला अप्रैल आखिरी महीना है, हालांकि मई में आंशिक छूट मिल सकती है। यहां के अखबार चीख-चीखकर कह रहे हैं कि गरीब परिवारों के लिए कड़ी चुनौती है कि वे किन खर्चों में कटौती करके ब्रॉडबैंड का खर्च जारी रखें। नेता बयान दे रहे हैं, ‘इस योजना से हमने डिजिटल विभाजन रोकने की दिशा में जो प्रगति की थी, वो फिर से धरी की धरी रह जाएगी।’

अक्टूबर में बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस को 6 अरब डॉलर का एक पूरक अनुरोध भेजा, लेकिन ये पारित नहीं हुआ। जब मैंने ये खबरी पढ़ी तो मेरे दिमाग में पहले जो लोग आए, उनमें गाड़ी नहीं चलाता हुआ ड्राइवर, आगंतुक नहीं आने की स्थिति में रिसेप्शन पर एंट्री करने के काम से फ्री बैठा हुआ सुरक्षा गार्ड और अपनी कॉलेज बस में जाते हुए लाखों नौजवान, जो कि अपने मोबाइल फोन की स्क्रीन से चिपके रहते हैं क्योंकि उन्होंने अपने मोबाइल में रोज मिलने वाले 1 जीबी डाटा खत्म करना होता है।

आप इनमें से कुछ लोगों का मोबाइल यूज देखें, तो पता चलेगा कि उन्होंने अपने पूरे महीने का फ्री जीबी डाटा पूरा निचोड़ लिया है। फ्री में मिलने वाली किसी भी चीज पर ज्यादा निर्भरता तेजी से इसका आदी बना देती है, जिसके बिना जीवन मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी जिंदगी को ऐसी सब्सिडी या मुफ्त लगने वाली चीजों पर निर्भर कर देंगे तो फिर जब ये अचानक छीन ली जाएंगी, तब वही जीवनशैली जीना मुश्किल हो जाएगा। तब क्या करें?

आदत बनाएं कि फ्री आइटम्स तभी इस्तेमाल करें जब जरूरत हो। मानसिक रूप से तैयार रहें कि आज जो फ्री है, कल उसका पैसा वसूला जा सकता है। निर्भरता की लत, वो भी फ्रीबीज़, लंबे समय में आपकी खुशी छीन सकती है। सबसे अच्छा तरीका ये है कि मोबाइल डाटा पूरी तरह उपयोग किया जाए, पर विकास उद्देश्यों के लिए।

ज्यादा से ज्यादा हुनर सीखें, अपने सीखने में मूल्यों को शामिल करें, दुनिया को बेहतर तरीके से जानें, वैकल्पिक नई नौकरी की भूमिकाएं जानें, जिनमें आप फिट हो सकते हैं और संक्षेप में अपने और अपने कौशल की बेहतर कीमत पाने के लिए खुद को और कीमती बनाएं। इससे आप इतने संपन्न हो जाएंगे कि कल को मुफ्त की चीजें बंद भी हो जाएं तो कनेक्टिविटी जैसी चीजें पैसे देकर भी ले सकेंगे। फिजूल के वीडियोज या इंस्टा पर रील्स स्क्रॉल करने में डाटा और कीमती वक्त न गंवाएं।

फंडा यह है कि जीवनभर कुछ भी फ्री या सब्सिडी पर नहीं मिलता रहेगा। आकस्मिक योजना रखें कि यदि मुफ्त की चीजें अचानक बंद हो जाएं तो उन जरूरतों की पूर्ति कैसे करेंगे।

Read Entire Article